DNA fingerprinting

वह तकनीक जिसके द्वारा DNA की विशिष्टता के आधार पर किसी व्यक्ति की पहचान की जाती है , DNA फिंगरप्रिंटिंग कहलाती है । ( The technique to identify a person on the basis of his / her DNA specificity is called DNA fingerprinting ) । इस विज्ञान की आधारशिला एक ब्रिटिश वैज्ञानिक सर एलेक जेफरीज ( Sir Alec Jeffreys ) द्वारा 1985 में रखी गयी ।

DNA फिंगरप्रिंटिंग के सिद्धांत (principal of DNA fingerprinting)

मनुष्य में पाए जाने वाले कुल DNA का मात्र 1 से 15% भाग ही एक समय में अपने आप को अभिव्यक्त Express करता हैं साथ ही प्रत्येक व्यक्ति में nitrogenous bases  की sequence आधार पर DNA अलग प्रकार का होता हैं 

इसके अलावा प्रत्येक व्यक्ति में DNA के कुछ ऐसे खंड पाए जाते हैं जो की पूरी श्रंखला में बारंबार आते हैं 

और किसी भी प्रकार की genetic information को Carry  करते हैं | इनकी वंशानुगति पीढ़ी दर पीढ़ी सामान्य genes की तरह होती है ।‌‌इन्हें Repeatitive DNA कहा जाता हैं । विभिन्न व्यक्तियों में इस प्रकार के DNA की संख्या अलग-अलग होती हैं | अतः इन्हें variable number tandem repeats , VNTRs कहा जाता हैं । दो व्यक्तियों का एक VNTR बिल्कुल समान हो सकता है, परंतु दूसरी अथवा अन्य VNTR मैं यह अंतर प्रदर्शित करते हैं । प्रत्येक व्यक्ति अपने माता-पिता से VNTR ग्रहण करता हैं । अतः ऐसा हो सकता है कि कोई व्यक्ति छः ( 6 ) VNTR  Mother के एक chromosome से ग्रहण करता है तथा father के उसी chromosome से चार 4 VNTR लेता हैं दोनों parent से प्राप्त VNTR सामान्य अथवा अलग हो सकते हैं । 


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